एक गुरुकुल में गुरु अपने शिष्य को शिक्षा प्रदान करते थे।
एक बार जब गुरु की निवृत्ति का समय आया तो गुरु ने अपने पद के लिए चार शिष्यों का चयन किया।
चारों ही शिष्य एक से बढ़कर एक विद्वान थे। गुरु में उन चारों की परीक्षा लेने का विचार किया। गुरु ने शिष्य से कहा कि जो भी इस परीक्षा में उत्तीर्ण होगा वह गुरुकुल का नया गुरु घोषित किया जाएगा।
दूसरे दिन प्रातः गुरु ने चारों शिष्यों को बुलाया और उन्हें चार चार रोटियां दे दी और कहा कि आप लोगों को शाम तक में यह चारों रोटियां खा लेनी है पर याद रखें की रोटियां खाते समय आपको किसी ने देखना नहीं चाहिए यह आपकी परीक्षा है।
चारों शिष्य गुरु को नमन कर अपनी अपनी रोटियां लेकर जंगल की तरफ चल दिए शाम के समय चारों शिष्य गुरु के पास पहुंचे गुरु ने चारों से रोटियां कहां और कब कैसे खाई यह पूछा ।
पहला शिष्य – गुरु जी मैं जंगल में गया वहां मैं एकांत में जाकर मैंने रोटियां खा ली ।
दूसरा शिष्य – मैंने एक कुएं में जाकर रोटियां खा ली ।
तीसरा शिष्य – मैंने एक गुफा में जाकर रोटियां खा ली ।
चौथा शिष्य – गुरु जी को नमन किया और बड़े भोलेपन से उसने चारों रोटियां गुरु जी के हाथ में रख दी और कहा गुरु जी मैं जब भी रोटी खाने को जाता तब वह मुझे देख रहा होता था।
इसलिए मैं रोटी नहीं खा सका।
गुरु जी ने पूछा कि कौन तुझे हर समय देख रहा था।
तब शिष्य ने कहा गुरु जी भगवान मुझे हर समय देख रहा था।
गुरु जी बहुत ही खुश और प्रसन्न हो गए उन्होंने चौथे शिष्य को विजयी घोषित किया और उसे गुरु के पद पर निर्वाचित कर दिया।
भावार्थ – दोस्तों आप लाख लोगों से बात छुपा लो पर भगवान सर्वव्यापी है वह हमेशा निरंतर आप को निहारते रहता है।
बिल्ली के आंख बंद करके दूध पीने से उसे यह आभास होता है कि उसे कोई नहीं देख रहा है पर यह गलत है उसे सब लोग देख रहे होते हैं।।
जब तक आपका ज़मीर जिंदा है तब तक भगवान भी आपको देख रहा है।