मंत्रों में शिरोमणि “नवकार मंत्र” का सतत मन में स्मरण करें। इसके स्मरण से इस भव में ही नहीं बल्कि परभव में भी जीव अनंत सुख को पाता है।
नवकार मंत्र के प्रभाव से भील – भीलडी परभव में राजा – रानी बनें। नवकार मंत्र के स्मरण से श्रीमती ने जैसे ही घडे में हाथ डाला सर्प फूल की माला बन गई। शिवकुमार को नवकार मंत्र में स्वर्ण पुरुष की प्राप्ति हुई अमर कुमार की मरण सूली सिंहासन बन गई। इसीलिए अत्यंत हो भाव पूर्वक नवकार मंत्र का स्मरण करें।
अपने मरण को महोत्सव बनाने के लिए समाधि- मरण के इन दस अधिकारों को अपने जीवन में उतारे तथा अपना जीवन प्रभु की आज्ञा में बनाएं। जिससे अंत समय में प्रभु की याद आ सके।
एक साधु भगवंत को अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण था। इस एक गुण के अतिरिक्त कुछ नहीं आता था। जब उनका अंतिम समय आया तब सभी साधु उन्हें समाधि देने के लिए नवकार मंत्र आदि सुनाने लगे। लेकिन उनका मन नवकार मंत्र में स्थिर बनने के बदले वे क्रोधित हो उठे। इतने में उनके गुरु वहां आए और कहा कि “तू मन को नवकार” में स्थिर कर। गुरु के प्रति समर्पण होने से एक पल का भी विलंब किए बिना मुनि ने अपना मन नवकार में स्थिर कर दिया। उनके जीवन में गुरु समर्पण था। अंतिम समय में समाधि प्राप्त हुई एवं उनकी सद् गति हुई।
सूरत की एक सत्य घटना -: एक भाई प्रतिदिन अपने घर के गैरेज में साधु – साध्वी भगवतों को गर्म पानी बनाकर वहोराता था। एक रात पति-पत्नी दोनों सोए हुए थे। और अचानक पति की छाती में जोर से दर्द होने लगा वो जोर – जोर से स्वास चलने लगी। इससे श्राविका समझ गई कि अब इनका अंतिम समय आ गया है। उसने बिना किसी को बुलाए जोर- जोर से नवकार मंत्र सुनाना शुरू कर दिया। बीच-बीच में वह पूछने लगी कि आप सुन तो रहे हो ? जवाब हां, मिलने पर वह और अधिक तेजी से नवकार मंत्र सुनाने लग। उसकी आवाज सुनकर पास के कमरे में सोए हुए पुत्र – पुत्रवधूएं आई। श्राविका ने सभी को नवकार मंत्र बोलने को कहा और इस प्रकार नवकार मंत्र पूर्ण होते ही उस भाई के प्राण पखेरू उड़ गए।
आप ही बताएं उस मृत्यु को क्या कहा जाए ? समाधि मृत्यु ही ना। यदि श्राविका के पास मृत्यु सुधारने की कला नहीं होती तो यहां- वहां सब को बुलाने और रोने में जीव की दुर्गति हो जाती।
नवकार मंत्र श्रेष्ठ है।नवकार मंत्र ही भव पार लगा सकता है।