एक वाक्या याद आ गया। बड़ा मजेदार वाक्या है। हुआ यूं कि एक बच्चा मास्टर के पास पहुंचा और बोला – गुरुजी! कल रात आपके बाप मेरे सपने में आए। मास्टर बोला – मेरे बाप! और तेरे सपने में ? झूठ, बिल्कुल सफेद झूठ। मेरे बाप तेरे सपने में आ ही नहीं सकते। बच्चा बोला – गुरुजी, आप मेरा विश्वास करें। आपके पिताजी मेरे सपने में सच में आए थे। मास्टर ने कहा – लेकिन मेरे बाप को मरे तो पांच साल हो गए, आज तक मेरे सपने में नहीं आए तो आए तेरे सपने में कैसे आ गए ? बच्चा बोला – गुरुजी, आपके सपने में नहीं आए तो मैं क्या करूं ? और यह कोई जरूरी भी नहीं है कि आप के बाप हैं तो केवल आप ही के सपने में आए। और किसी के सपने में ना आए। मास्टर ने कहा – हां, ऐसा कोई जरूरी नहीं है। पर वो तेरे सपने में कैसे आ गए ? बच्चा बोला – बस बाई चांस। मास्टर ने कहा – अच्छा ठीक है, बोल, मेरे बाप क्या कह रहे थे ? बच्चे ने कहा – मास्टर जी ! और तो कुछ नहीं बोले। बस केवल यही कहा कि कल तू मेरे बेटे के पास जाना और उससे कहना कि वह तुझे अच्छे नंबरों से पास कर दे।
मास्टर ने कहा – कमाल है बेटा। अब तो तुझे पास करना ही पड़ेगा। बाप का आदेश और वह भी स्वर्गीय बाप का। ऐसा कौन नालायक बेटा होगा जो अपने स्वर्गीय बाप का कहना ना माने। जिंदा बाप की आज्ञा ना मानने वाले तो घर – घर मिल जाएंगे, मगर स्वर्गीय बाप की आज्ञा ना मानने वाले सारी दुनिया में शायद ही कोई बेटा मिले। मास्टर ने कहा – ठीक है, तू घर जा। तेरा काम हो जाएगा। दो दिन बाद मास्टर स्कूल पहुंचे और उस बच्चे को बुला कर बोले क्यों रे ! झूठ बोलता है। बच्चा बोला – मास्टर, जी क्या हुआ ? मास्टर ने कहा – अबे, उल्लू के पट्ठे! कल रात मेरे बाप मेरे सपने में आए थे। बच्चे ने कहा – अच्छा, मास्टर जी। आप भी सपने में आ गए। चलो बहुत अच्छा हुआ। अच्छा, क्या बोल रहे थे, मास्टर ने कहां – बस, तेरा भंडाफोड़ रहे थे। बच्चे ने कहा – क्या मतलब ? मास्टर बोला – पिताजी कह रहे थे यह बच्चा बड़ा नालायक और बदतमीज है। इसको किसी भी शर्त पर पास मत करना । बच्चे ने कहा – मास्टर जी! अब आप पास करें या ना करें यह तो आपकी मर्जी है। मगर एक बात कहूं। आप के बाप बड़े वाहियात किस्म केआदमी है। मास्टर ने गुस्से में कहा – क्यों ? बच्चे ने कहा – इसीलिए की वे मुझे कुछ कह गए और आप को कुछ कह गए। विश्वास करने लायक नहीं थे आप के पिताजी।
बच्चों की प्रतिभा का कमाल है, यह तो महज एक उदाहरण है।