एक व्यक्ति ने पूछा – गुरुजी !
दुनिया का सबसे बड़ा रोग कौन सा है ?
दुनिया में तरह तरह के रोग हैं। खतरनाक रोग है। एक से बढ़कर एक रोग है। लाजवाब और लाइलाज रोग हैं। कैंसर है, ऐड्स है, हार्ट अटैक है, डायबिटीज है ,ब्रेन हेमरेज है, पैरालिसिस है, वगैरह ।
आजकल औषधियां बड़ी है, औषधियों के साथ रोग भी बड़े हैं। पहले मनुष्य सौ वर्षों तक जीता था । अब औसतन 60 से 70 साल से ज्यादा नहीं जीता।
पहले पूरे शरीर का एक डॉक्टर होता था और अब एक एक अंग का अलग-अलग डॉक्टर है।
आंख का डॉक्टर अलग, कान का डॉक्टर अलग होता है दिल का डॉक्टर अलग, दांत का डॉक्टर अलग, हड्डी का डॉक्टर अलग ।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति जोड़ती थी ।आज भी आयुर्वेदिक चिकित्सा में पूरे शरीर का एक ही डॉक्टर होता है। जिसे वैधजी कहा जाता है।
एलोपैथिक चिकित्सा ने शरीर का बंटवारा करके बंटाधार कर दिया और आने वाले समय में तो अभी और भी बटवारा होगा।
जब दायीं आंख का डॉक्टर अलग होगा और बायीं आंख का डॉक्टर अलग होगा । अभी तो केवल आई स्पेशलिस्ट होता है, और आने वाले समय में लेफ्ट आई स्पेशलिस्ट और राइट आई स्पेशलिस्ट होगा । इतना ही नहीं दांतों का मामला जब आएगा तो बत्तीस दांतो के लिए बत्तीस डेंटल स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी-भरकम जंबो टीम होगी।
पहले लोग कभी कभी बूढ़े हुआ करते थे। मगर आजकल लोग आए दिन बूढ़े हो जाते हैं, समय से पूर्व ही बूढ़े हो जाते हैं, ऐसा क्यों ?
क्योंकि आदमी का खान- पान रहन -सहन सब कुछ बदल गया है। पाश्चात्य जीवन शैली आ गई है। पहले लोग कभी- कभार बीमार होते थे और आज कल ? बस पूछो ही मत। कभी-कभी स्वस्थ दिखते हैं । बाकी तो बीमारियां बनी ही रहती है।
बीमारियां क्या बड़ी डॉक्टरों की चांदी हो गई है। डॉक्टर एक ऐसा अद्भुत प्राणी है जो यह तो नहीं चाहता कि मरीज मरे, पर यह जरूर भगवान से प्रार्थना करता है कि आदमी बीमार बना रहे ।आदमी के बीमार रहने में ही डॉक्टर स्वस्थ हैं।