यदि आप जीवन में खुशियां बटोरना चाहते हैं तो पहला मंत्र है – जीवन को सादगी पूर्वक जीने की कोशिश करें। आपने सुना है – सादा जीवन उच्च – विचार। व्यवहार में सादगी हो, आचरण में श्रेष्ठता हो और विचारों में पवित्रता हो। तुम जितने ऊपर उठोगे उतनी ही विनम्रता तुम्हारे व्यवहार में आ जाएगी।आम के पेड़ पर लटकती हुई कैरी जब कच्ची होती है, तब तक अकड़ी हुई रहती है लेकिन जैसे-जैसे वह कैरी रस से भरती है, मिठास और माधुर्य पाती है, वैसे – वैसे वह आम में तब्दील होती हुई झुकना शुरू हो जाती है। जो अकड़ कर रहती है वह कच्ची कैरी और जो झुक जाए वह पका हुआ आम।
जीवन में महानताएं श्रेष्ठ आचरण से मिलती है – वस्त्र – आभूषण और पहनावे से नहीं। इसीलिए जीवन को सादगी पूर्ण ढंग से जिएं। सादगी से बढ़कर जीवन का अन्य कोई श्रृंगार नहीं है। ईश्वर का जो शारीरिक सौंदर्य देना था, वह तो उसने दे दिया। उसे और भी अधिक सुंदर बनाने के लिए “उच्च विचार और सादा जीवन” अपनाएं, न कि कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधन।
क्या आप नहीं जानते कि जिन कृत्रिम सौंदर्य – प्रसाधनों का उपयोग आप कर रहे हैं वे हिंसात्मक रूप से तैयार किए गए हैं ? क्या आपने यह जानने की कोशिश की है कि आपकी श्रृंगार सामग्री के निर्माण में कितने पशुओं का करुण – क्रंदन छिपा हुआ है ? क्या लिपस्टिक लगाने वाली किसी भी महिला ने यह जानने की कोशिश की कि लिपस्टिक में क्या है ? आखिर चौबीस घंटे तो बन – ठन कर नहीं जीया जा सकता। क्यों न हर समय सहज रूप में रहें ताकि हमारा सहज सौंदर्य भी उभर सके। सादगी से बढ़कर सौंदर्य क्या ? राष्ट्रपति कलाम साहब जब राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित हुए तो समाचार – पत्रों में उनके चित्र आने लगे कि अगर वे अपने बाल चित्रों में बताए गए तरीकों से कटवा लेंगे तथा सवारने लगेंगे तो अधिक खूबसूरत लगेंगे, यह कहा गया कि वह अपनी वेशभूषा में कुछ परिवर्तन कर लेंगे तो अधिक प्रभावशाली लगेंगे। लेकिन मैं सोचा करता कि अगर यह व्यक्ति काबिल है तो राष्ट्रपति बनने के बाद भी ऐसा ही रहेगा और मैं प्रशंसा करूंगा कलाम साहब की कि वे जीवन भर देश के साधारण व्यक्ति के समान ही जिऐं । यही उनका श्रृंगार है – “सादा जीवन, उच्च – विचार”। सादगी से बढ़कर और कोई श्रृंगार नहीं होता।