माना की खुराक तंदुरुस्ती का प्रभावशाली साधन है परंतु,
पेट में जाने वाला खुराक यदि सड़ा हुआ हो तो ?
शरीर को स्वस्थ बनाने के बदले बीमार बना देगा, बिगाड़ देगा।
माना कि
शिक्षा, समाज परिवर्तन का प्रभावशाली साधन है, पर कौनसी शिक्षा ?
अधिकार की बात उतनी न करती हो जितनी जिम्मेदारी की बात करती हो वह शिक्षा।
स्वतंत्रता की बात उतनी न करती हो जितनी संयम की बात करती हो वह शिक्षा। स्वार्थपुष्टि की बात उतनी न करती हो जितनी पदार्थ की और परमार्थ की बात करती हो वह शिक्षा।
जवाब दो – आज की शिक्षा में तुम्हें यह सब दिखता है भला ?
जैसे कार्य से कारण का अनुमान किया जाता है वैसे इस शिक्षा पद्धति के तहत शिक्षित हो रही युवा पीढ़ी की विचारशैली और जीवनशैली देख लो।
तुम्हें ख्याल आ जाएगा कि शिक्षा में ही कुछ गड़बड़ है।
यह बात तो तुम जानते हो ना कि
समाज को यदि प्रभावशाली बनाना है तो समाज के बीच प्रभावशाली विचार प्रस्तुत करने पड़ते हैं, और प्रभावशाली विचार प्रभावशाली शिक्षा के बिना पैदा नहीं होते। पानी जिस रंग की मिट्टी पर से बहता है वैसा ही रंग धारण कर लेता है। व्यक्ति को जैसी शिक्षा मिलती है वैसे ही उसके विचार हो जाते हैं। माना कि आज की शिक्षा युवा पीढ़ी को कैरियर के क्षेत्र में शायद शिखर पर पहुंचा दिया है।
परंतु
चरित्र निर्माण के क्षेत्र में शिखर पर पहुंचाने के बदले उसे गर्त की तरफ धकेलने का काम किया है। और इसीलिए मन में संशय रहा है करता है कि वर्तमान – शिक्षा समाज परिवर्तन का प्रभावशाली साधन है या समाज को बिगाड़ने का कातिल शास्त्र।