आत्मा न तो स्त्रीलिंग है ना ही पुलिंग है ।लिंग भेद तो शरीर से बनते हैं। अध्यात्मिक ज्ञानी की दृष्टि में लिंग भेद होता ही नहीं है। ज्ञानी स्त्री की निंदा नहीं करते। ” यंत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता ” जिस घर में स्त्रियों के प्रति अत्याचार एवं उत्पीड़न हो रहा हो उस घर में सुख, शांति का वातावरण नहीं होता परंतु जहां स्त्रियों के प्रति सौहार्द्र, अपनत्व, प्रेम के भाव होते हैं, वह घर देवताओं के लिए भी आनंदकारी हो जाता है। नारी को उसके स्थान के अनुरूप सम्मान दो। जिस घर में नारियां घर की मर्यादा के अनुसार जीवन जीती हैं, वह गृहस्थ सुखी दांपत्य जीवन को जीता है।