यूनान की राजधानी एथेंस में एक दिन देववाणी हुई कि सुकरात सबसे बड़ा ज्ञानी है। लोग जो सुकरात के प्रशंसक थे , वे दौड़कर सुकरात के पास पहुंचे और उन्हें बताया कि आकाशवाणी हुई है कि आप सबसे बड़े ज्ञानी हैं।
सुकरात ने कहा , ‘ यह बिल्कुल गलत बात है। तुम लोगों ने ठीक से नहीं सुना होगा। मैं सबसे बड़ा ज्ञानी नहीं हूं। मैं तो अपने को अज्ञानी मानता हूं । ‘
लोग लौटकर गए और देवी से पूछा , ‘ आपने कहा कि सुकरात सबसे बड़ा ज्ञानी है। ‘ जब यह बात हम लोगों ने उससे कही तो वह कहता है , झूठी बात है। मैं सबसे बड़ा ज्ञानी नहीं हूं , अज्ञानी हूं। आप बताएं सच्चाई क्या है ?
देवी ने कहा , ‘ जो अपने अज्ञान को जानता है , वस्तुत: वही सबसे बड़ा ज्ञानी है। ‘ अपने अज्ञान को जानने वाला ही ज्ञानी होता है। जो ज्ञान का अहंकार करता है , वह कभी ज्ञानी नहीं होता। हर व्यक्ति अनुभव करे , अपने अज्ञान को देखे कि अभी मैं कितना कम जानता हूं। जानना बहुत कुछ है। कुछ लोग पढ़ – लिखकर अहंकारी हो जाते हैं , यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है।
Ek dam sahi likha hai aapane
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