एक बार राजा नगरचर्या में निकले। रास्ते में देखा कि एक बैरागी चिल्ला रहा था , ‘ एक सुवचन एक लाख । ‘
राजा को जिज्ञासा हुई। राजा ने बैरागी से पूछा , तो जवाब मिला कि यदि आप धनराशि दे , तो ही आपको सुवचन प्राप्त होगा। राजा ने अपने वजीर से कहकर धनराशि बैरागी को दी और सुवचन के रूप में , कागज का एक टुकड़ा प्राप्त किया।
कागज पर लिखा था , ‘ कर्म करने से पहले उसके परिणाम को सोच। ‘
राजा ने बैरागी से पूछा , ‘ इसके लिए इतनी धनराशि आपने ली? ‘ बैरागी ने मुस्कुराते हुए कहा , ‘ यही सुवचन एक दिन आपके प्राण बचाएगी। ‘
राजा ने महल में जगह – जगह इस सुवचन को फ्रेम करवाकर लगवा दिया। कुछ दिनों के पश्चात राजा बीमार पड़ा , तो वजीर के मन में बड़ा लालच पैदा हुआ और वह राजा का खून करने के लिए उनके खंड में पहुंच गया। ज्यों ही वह राजा पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा , उसकी नजर बैरागी के दिए हुए संदेश पर पड़ी , जिसमें लिखा था , ‘ कर्म करने से पहले अंजाम को सोच । ‘
वजीर ने परिणाम के बारे में सोचा और थम गया। उसने तुरंत राजा के पैरों में गिरकर माफी मांगी।
यदि हम परिणाम को सोचें , तो निंदनीय घटनाओं का क्रम घटता जाएगा और धीरे – धीरे सुखमय संसार की स्थापना हो जाएगी और प्रत्येक व्यक्ति अच्छे व श्रेष्ठ कर्म करेगा।