बूढा आदमी दुनिया का सबसे बडा विश्वविद्यालय है। बूढे की एक एक झुर्रियों में जीवन के हजार-हजार अनुभव लिखे होते हैं। बूढे की कांपती हुई गर्दन कहती है कि दुनिया में कुछ भी सार नही है उसके कांपते हुए हाथ कहते हैं कि परोपकार और दान करना हो तो आज ही कर लो, वर्ना कल कुछ न कर पाओगे। उसके लड़खडाते पैर कहते हैं कि तीर्थ यात्रा आज ही कर डालो , वर्ना हम लाचार हो जाएंगे।
दुनिया में ऐसा कोई भी नही है जो सदैव युवा रहे। राम , कृष्ण , महावीर सभी को बुढापा आया। लेकिन यह मत समझो कि बुढापा जीवन का अन्तिम सफर है। बुढापा तो जीवन का एक सुनहरा अध्याय है। किसी भी बूढे को निराश और हताश नही होना चाहिए। 20 साल का जवान भी निराशवादी है तो वह बूढा है और यदि 80 साल बूढा भी आशवादी है तो वह जवान है।
यह मत सोचना कि बुढापे में कुछ नही कर सकते , 70 साल की उम्र में सुकरात साहित्य की रचना करते थे। 80 साल की उम्र में कीरो ने ग्रीक भाषा सीखी थी और 90 वर्ष की उम्र तक पिकासो चित्र बनाते रहे। जब 70 साल की उम्र में महात्मा गांधी देश की आजादी के लिए लड़ सकते हैं तो हम बुढापे से क्यों नही लड़ सकते। बुढापे में कभी खाली मत बैठना , कुछ न कुछ करते रहना।
जो लोग जवानी में ज्यादा इतराते हैं उन्हे बुढापे में आंसू बहाने पड़ते हैं इसलिए जवानी ढंग से गुजारें , बुढापे में रोना नही पडेगा। घड़ी के तीन कांटे देखना , सेकेण्ड का कांटा बचपन का प्रतीक है जो बहुत तेज भागता है। मिनट का कांटा जवानी का प्रतीक है जो बचपन से थोडा धीरे चलता है लेकिन काम करता दिखता है। घंटे का कांटा बुढ़ापे का प्रतीक है जो चलता हुआ दिखता तो नही , लेकिन फिर भी चलता है।
बचपन और जवानी तो जल्दी भागती है बुढापा धीरे धीरे खिसकता है। जवानी को लाख बचाना चाहो पर वह बचती नही , लाख दवाएं खा लो कि , बुढापा ना आए लेकिन बुढापा तो आता ही है। सफेद बाल काले कर सकते हो फिर भी बुढापा नही रूकता। प्लास्टिक सर्जरी भी करा लो तो भी बुढापा निश्चित आएगा।
परिवार में सुखी रहना है तो बुढ़ापे में बहू और बेटों के बीच ज्यादा हस्तक्षेप मत करो। ज्यादा हस्तक्षेप करने से परिवार के लोग टूटने लगते हैं और मन भी अशांत होने लगता है। बुढापा यदि सुख से गुजारना है तो अपने घर को अपना घर न समझकर पड़ोसी का घर समझो। जो व्यवहार अपने पड़ोसी से करते हैं वही अपने बेटे-बहू से करो , समय पर भोजन मिले चुपचाप भोजन कर लो , बाकी समय हरि का भजन करो।