एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी। वैसे तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था।
उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया , कभी कमरे में खोजता तो कभी बाड़े में तो कभी अनाज के ढेर में पर तामाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली।
उसने निश्चय किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने आवाज लगाई । सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई हुई घडी खोज देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा।
फिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर से इस काम में लग गए। वे हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर , आँगन में हर जगह पर ।घंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली। अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी यही लगा की घड़ी नहीं मिलेगी।
तभी एक लड़का उसके पास आया और बोला , काका मुझे एक मौका और दीजिये , पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा। किसान का क्या जा रहा था , उसे तो घडी मिलनी चाहिए थी , उसने तुरंत हाँ कर दी। लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा और जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी।
किसान घड़ी देख कर प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा बेटा ! कहाँ थी ये घड़ी और जहाँ हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?
लड़का बोला , काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया , और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और अलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली।
जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें जीवन की ज़रूरी चीजें समझने में मददगार होती है । हर दिन हमें अपने लिए थोडा वक़्त निकालना चाहिए , जिसमें हम बिलकुल अकेले हों , जिसमें हम शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और अपने भीतर की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम जीवन को और अच्छे ढंग से जी पायेंगे ।