त्याग बिना यज्ञ का पुण्य भी व्यर्थ होता है। Tyag Bina yagya ka punya bhi vyarth hota hai.
एक बार का पुराना प्रसंग है। चारों ओर सूखा पडा था। अकाल था। कुछ खाने को नहीं मिल रहा था। एक परिवार को कई दिन इसी प्रकार भुखमरी मैं काटने पड़े। परिवार के लोग आसन्न – मरण बन गये। एक दिन उन्हें जौ का आटा मिला। परिवार ने सोचा , इसकी पांच रोटियां बनाएंगे। चारों… अधिक पढ़ें त्याग बिना यज्ञ का पुण्य भी व्यर्थ होता है। Tyag Bina yagya ka punya bhi vyarth hota hai.