मन ही माया है Man hi Maya hai
मन से मुक्त हो जाना ही संन्यास है। इसके लिए पहाड़ों पर या गुफाओं में जाने की कोई जरूरत नहीं है। दुकान में , बाजार में , घर में.. हम जहां भी हों , वहीं मन से छूटा जा सकता है..। संत लाख कहें कि संसार माया है , लेकिन सौ में से निन्यानबे संत… अधिक पढ़ें मन ही माया है Man hi Maya hai