लज्जा ही नारी का सच्चा आभूषण है। Lajja hi nari ka saccha abhushan hai.
मगध की सौंदर्य साम्राज्ञी वासवदत्ता उपवन विहार के लिए निकली। उसका साज शृंगार उस राजवधू की तरह था जो पहली बार ससुराल जाती है। एकाएक दृष्टि उपवन – ताल के किनारे स्फटिक शिला पर बैठे तरुण संन्यासी उपगुप्त पर गई। चीवरधारी ने बाह्य सौंदर्य को अंतर्निष्ठ कर लिया था और उस आनंद में कुछ ऐसा… अधिक पढ़ें लज्जा ही नारी का सच्चा आभूषण है। Lajja hi nari ka saccha abhushan hai.